*महापौर दरे को नीचा दिखाने षड्यंत्रकारियों ने राष्ट्रध्वज का अपमान करा दिया*
निगम में चल रही टुच्ची राजनीति
सागर। दीनदयालजी की भाजपा के नेताओं जनप्रतिनिधियों की नैतिकता खूंटी पर टंगी नजर आ रही है। इसकी बानगी निगम में स्वतंत्रता दिवस पर सामने आ गई। महापौर को नीचा दिखाने के लिए कतिपय भाजपाईयों और उनके सरकारी अनुयाइयों ने राष्ट्रध्वज की आड़ लेकर महापौर की किरकिरी के साथ तिरंगे का अपमान तक करा दिया।
पावर विहीन महापौर अभय दरे निगम में राष्ट्रध्वज न फहरा सके इसके लिए भाजपा के ही कतिपय जनप्रतिनिधियों ने हफ्ते भर तक लॉबिंग की। आयुक्त ने एक्ट खंगाला और अभय दरे को पात्र माना।
अब कहानी में षड्यंत्र शुरू, निगम में स्वतंत्र दिवस पर जब महापौर अभय दरे ने तिरंगा फहराने के लिए डोरी खींची तो नॉट (गठान) नहीं खुली। एक, दो, तीन, चार, पाँच प्रयास, लेकिन असफलता। हास्य-परिहास के साथ महापौर को नीचा दिखाने में षड्यंत्रकारियों की चाल कामयाब। महापौर तिरंगा नहीं फहरा सके। घनघोर बेज्जती!
*ये क्या सरफुन्द की जगह गाँठने*
असमंजस के बीच लोहे की सीढ़ी (नसेनी) बुलबाई, एक कर्मचारी तिरंगे तक पहुंचा तो पता चला कि डोरी में सरफुन्द की जगह जानबूझकर 2 गठाने लगी थीं पहले हाथ से, फिर दांतो से प्रयास किया नहीं खुली। नीचे से आवाज आई काट दो। ये क्या ब्लेड भी मौके पर तैयार थी। ब्लेड चली और नॉट काट गई। महापौर ने डोरी खींचने की रस्म अदायगी छूकर कर दी।
*तिरंगे में फूल भी नहीं बांधे*
मौके पर मौजूद कतिपय निष्पक्ष पार्षद, कर्मचारियों की माने तो तिरंगे में पुष्प भी नहीं बांधे गए थे।
कुल मिलाकर स्वतंत्रता दिवस पर जो कुछ निगम में हुआ वह टुच्ची राजनीति की बानगी थी जिसमें महापौर को नीचा दिखाने में उनके कतिपय विरोधियों ने राष्ट्रध्वज का अपमान भी करा दिया। ये वही लोग हैं जिन्हें जनहित से ज्यादा महापौर की कुर्सी का लालच दिख रहा है।
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